शनिवार, 24 जून 2017

इस्लाम की खातिर गुदामैथुन करते है मुस्लिम

इस्लाम की खातिर गुदामैथुन करते है मुस्लिम

लेख प्रारंभ करने से पूर्व क्षमा चाहते हैं ,क्योंकि उनको लेख का शीर्षक अश्लील लगेगा . परन्तु लेख में इस्लाम के बारे में जो जानकारियाँ दी जा रही हैं ,उन्हें पढ़कर अश्लीलता भी शर्म के मारे डूब कर मर जाएगी .
अभी तक लोग इस्लाम के बारे में इतना तो अच्छी तरह से जान चुके हैं , कि जिहाद इस्लाम का अनिवार्य और धार्मिक कार्य माना जाता है . और लोग यह भी समझ चुके हैं कि दुनिया का शायद ही कोई ऐसा अपराध होगा जो मुसलमान जिहाद के नाम से नहीं करते हों .निर्दोषों की हत्या , बलात्कार ,आतंकवाद और जो ऐसे ही दूसरे अपराध इस्लाम की खातिर किये जाते हैं , सभी जिहाद की परिभाषा में आते हैं . लेकिन इस्लाम की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि वह एक जगह तो इन अपराधों को गुनाह बताता है . तो जिहाद में इन से भी घृणित कामों को जायज ठहरा देता है .
ऐसा ही अत्यंत निंदनीय और घृणित काम पुरुषो द्वारा पुरुषों के साथ ” गुदामैथुन “ करना है .जिसे इस्लाम की खातिर जिहाद के लिए जायज बना दिया गया है .इस कुकर्म को अरबी में ” लवात ” कहा जाता है .लेख में इसी विषय पर जानकारी दी जा रही है .
1.लवात क्या है
अंगरेजी में इस कुकर्म को “Sodomy ” कहा जाता है . क्योकि इस्लाम से पहले सोडोमनामके शहर के यह कुकर्म काफी प्रचलित था . जिसे अरबी में मुसलमानों के एक नबी ” लूत لواط ” के नाम से “लवात اللواط” नाम दे दिया गया है . मुसलमानों के नबी लूत के शहर के सभी लोग यह कुकर्म करते थे , जिसका उल्लेख कुरान में इस प्रकार दिया है ,
“क्या तुम पुरुषों के पास ( आप्राकृतिक ) काम के लिए जाते हो . और जिस काम के लिए अल्लाह ने औरतों को पैदा किया है , उनको छोड़ देते हो
” सूरा अश शुअरा 26:165-166
2.मुहम्मद को लवात का अंदेशा
यद्यपि मुहम्मद को पता था कि उसके अधिकांश साथी यही कुकर्म करते थे , लेकिन उनको डर लगा रहता था कि कहीं अरब के सभी लोग लूत के शहर वालों जैसे नहीं बन जाएँ , जो इस हदीस में बताया है ,
“जबीर ने कहा कि रसूल ने कहा ,निश्चय ही मुझे इस बात का बड़ा डर है कि मेरा देश लूत वालों जैसा न बन जाये “
Jabir reported: The Messenger of Allah, peace and blessings be upon him, said, “Verily, what I fear most for my nation is the deed of the people of Lot.”
جَابِرًا يَقُولُ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ إِنَّ أَخْوَفَ مَا أَخَافُ عَلَى أُمَّتِي عَمَلُ قَوْمِ لُوطٍ
1374 جامع الترمذي كتاب الجمعة أبواب السفر
قَالَ أَبُو عِيسَى هَذَا حَدِيثٌ حَسَنٌ غَرِيبٌ
Sunan At-Tirmidhi, Book of Legal Punishments, Number 1374, Hasan

3.औरतों से गुदामैथुन
मुहम्मद से समय और उसके बाद से अब तक इस्लाम में औरतों के साथ यह कुकर्म करना सामान्य बात मानी जाती है . जिसके विस्तार में न जाते हुए इस्लाम की उन किताबों के हवाले दिए जा रहे हैं , जिन में इस कुकर्म को जायज बताया गया है , यहाँ कि मुहम्मद के साथी भी यही करते थे ,किन किन लोगों ने इस कुकर्म को जायज माना
A.मदीना के उलेमा
मुहम्मद के समकालीन सुन्नी उलेमा अपनी जिन किताबों में इस कुकर्म को सही बताया उनके हवाले इस प्रकार हैं ,
Fayl al Lawathar Volume 6 page 154 Kitab Nikah, Bab Mut’ah
Tafseer Qasmi Volume 2 page 223 Ayat Hars

Tafseer Ibn Katheer Volume 1 page 262 Ayat Hars

Fathul Bari Volume 8 page 191 Ayat Hars

Tafseer Mazhari, Volume 3, Page 19(Tafsir al-Mazhari (Arabic: تفسير المظهري‎) is a 13th century AH tafsir of the Qur’an, written by Qadi Thanaullah Panipati.)
B-मुहम्मद के साथी
मुहम्मद के जो सहाबी यानि साथी औरतों और पुरुषों के इस कुकर्म को करते थे और जायज मानते थे ,उनका हवाला इस प्रकार है ,
Tafseer Qurtubi Volume 3 page 93 Ayat Hars:

“Fatwas on the permissibility of sodomy with men Saeed bin Maseeb Nafi, ibn Umar, Muhammad bin Kab, Abdul Malik, Imam Malik, a large group amongst the Sahaba and Tabaeen deemed sodomy to be permissible”.

अधिक जानकारी के लिए यह लिंक खोलिए

http://www.sex-in-islam.com/amar.khan/anal-sex-islam-allah-prophet-muhammad.htm

लेकिन हमें इन बातों की गहराई में जाने की जरूरत नहीं है ,क्योंकि गन्दगी को जितने अन्दर खोदेंगे उतनी दुर्गध निकलेगी .हमारा मुख्य विषय इस्लाम की खातिर गुदामैथुन कराना है .जिसके बारे में मुस्लमान भी बहुत कम जानते होंगे
.

4-जिहादी गुदामैथुन करवाएं
अमेरिका की राष्ट्रीय स्तर की समलैंगिकों “national gay and lesbian news magazine” पत्रिका ‘ Advocate.com ‘ में दिनांक 12 July 2012 को एक समाचार प्रकाशित हुआ था ,जिसके संपादक Lucas Grindley हैं .जिसके मुख्य अंश हिंदी में दिए जा रहे हैं , इन से जिहाद और इस्लाम का घिनावना रूप बेनकाब हो जायेगा .एडवोकेट पत्रिका में लिखा है कि “ अल कायदा से जुड़े अरब के एक मुफ़्ती ने “आत्मघाती बम Suicide Bombers” बनने वाले नए जिहादी लड़कों को बताया कि यदि तुम इस्लाम के लिए शहीद हो जाओगे तो , मरने के बाद तुम्हें जन्नत में कुंवारी लड़कियां मिलेंगी और तुम पर अल्लाह की रहमत होगी . लेकिन इस से पहले तुम्हें तब तक ” गुदामैथुन करवाना ” होगा .जब तक तुम्हारी गुदा इतनी चौड़ी नहीं हो जाये कि गुदामार्ग में बम आसानी से घुस सके .

(for this method of jihad you must agree to be sodomized for a period in order that your anus will be widened such that your rectum can take the explosives.)मेरी दुआ है कि अल्लाह तुम्हारे ऊपर रहम करे क्योंकि तुमने अपनी गुदा (Anus ) अल्लाह को समर्पित करदी है , इस तरह तुम और तुम्हारे साथी मुजाहिदों में शामिल हो गए .तुम सभी का यही उदेश्य होना चाहिए कि जिहाद के लिए मेरी गुदा चौड़ी हो जाये .
“God have mercy on you: Is it permitted to offer my anus to one of the mujahidin brothers if the intention is pure and the goal is to train for jihad, and to widen my rectum”
http://www.advocate.com/politics/military/2012/07/12/religious-exemption-sodomy-suicide-bombers

5-फतवा देने वाले मुफ़्ती
इस्लाम से सम्बंधित किसी आदेश को ‘फतवा ” और ऐसा आदेश देने वाले को ” मुफ़्ती ” कहा जाता है , जिन दो मुफ्तियों ने जिहादियों को इस्लाम की खातिर गुदामैथुन करवाने का फतवा जारी किया है , वह इस्लामी आतंकवादी संगठन ” अल कायदा “के मुफ़्ती हैं , इनके बारे में अधिक जानकारी नहीं है , परन्तु इनके नाम इस प्रकार हैं

1.अब्दुल्लाह हसन अल असीरी (Abdullah Hassan al-Asiri (Arabic: عبد الله حسن عسيري‎) इसका जन्म सन 1986 में सऊदी अरब के असीर कसबे में हुआ था ,यह सऊदी अरब के राजकुमार का दोस्त भी था.और उसका धार्मिक सलाहकार मुफ़्ती भी था फिर सन 27 अगस्त 2009 को अल कायदा का सरगना बन गया .
2.शेख अबुल मदाअ अल कसाब (Sheikh Bloody Butcher” (الشيخ أبو الدماء القصاب)अरबी में इसके नाम का अर्थ “शेख खूनी कसाई “होता है .और जैसा इसका नाम है , यह वैसा ही क्रूर है .इन दौनों की इच्छा जिहाद से दुनिया में इस्लामी राज्य स्थापना करने की है .और अपने इसी मकसद को जल्द पूरा करने के लिए इन्होने ऐसा अश्लील फतवा जारी किया है .जो अरबी में है
6-गुदामैथुन का फतवा
فتوى في جواز توسيع الدبر باللواط إذا كان الغرض منه الجهاد

قال أن الإرهابي الذي فجر نفسه في محاولة اغتيال الأامير محمد بن نايف أدخل كبسولات التفجير على دفعات إلى مؤخرته، على شكل تحميله .
ويقال – والله أعلم – أن الإرهابي قبل أن يفعل سأل شيخاً صحوياً عن أنه ينوي أن تلاك في دبره كبسولات التفجير، طلباً للجهاد، لتنفيذ عمليات جهادية رغبة في الحور العين .
طرح الإرهابي على الشيخ السؤال بهذه الصيغة : شيخنا رزقكم الله الشهادة والحور العين في الجنة . أردت رضي الله عنكم أن أقوم بعملية استشهادية، وتقدمت إلى “الشيخ أبو الدماء القصاب” . فقال لي إننا ابتكرنا طريقة جديدة وغير مسبوقة في العمليات الاستشهادية، وهو أن يُـلاك في دبرك كبسولات التفجير ، ولكي تتدرب على هذه الطريقة الجهادية لا بد أن ترضى بأن يُلاط بك فترة كي يتسع دبرك، وتكون مؤخرتك قادرة على أن تتحمل عبوة التفجير , وسؤالي رحمك الله : هل يجوز أن أبيح دبري لأحد الإخوة المجاهدين إذا كانت النية صالحة، والهدف الدربة على الجهاد، ليقوم بتوسيع دبري؟ .. فحمد الله الشيخ وأثنى عليه، وقال : الأصل أن اللواط محرم ولا يجوز . غير أن الجهاد أولى، فهو سنام الإسلام. وإذا كان سنام الإسلام لا يتحقق إلا باللواط، فلا بأس فيه، فالقاعدة الفقهية تقول : الضرورات تبيح المحظورات. وما لا يتحقق الواجب إلا به فهو واجب، وليس هناك أوجب من الجهاد. وعليك بعد أن يلاط بك أن تستغفر الله، وتكثر من الثناء عليه، وتأكد يا بني أن الله يبعث المجاهدين يوم القيامة حسب نياتهم، ونيتك إن شاء الله نصرة الإسلام. نسأل الله أن يجعلك ممن يستمعون القول ويتبعون أحسنه . وصلى الله على محمد.

6-A-Google Translation

“Fatwa in expanding anal, sodomy if its purpose Jihad”
,
He said that the terrorist who blew himself up in an attempt assassination Aloamir Mohammed bin Nayef Enter blasting caps on payments to the buttocks, in the form of downloading.
It is said – and God knows best – that the terrorist before he asked an old man does Sahoya that he intends to Tlak orchestrated blasting caps, a request for Jihad, to carry out jihad desire for virgins.
Ask a terrorist Sheikh question this formula: Sheikh Allah hath provided for martyrdom and virgins in paradise. I wanted God bless you, to do a martyrdom operation, and advanced to the “Sheikh Abu blood butcher.” He told me we devised a new way and is unprecedented in the martyrdom operations, which is that Lilac in Dberk blasting caps, and to practice these new way jihad must be satisfied that the Alat your period to accommodate Dberk, and beyour ass able to bear the bomb blast, and my question God bless : Is it permissible to permissible Woodbury for one of the mujahideen brothers valid if the intention not goal of Jihad, but is expanding the anus ? .. Ahamd Sheikh and praised him, and said: The basic principle is that sodomy and may not be. Hever, the first Jihad, is hump Islam. If the hump of Islam can only be achieved sodomy, there is nothing wrong in it, jurisprudential rule says: a virtue of necessity. What can be achieved only by it is the duty, and there is no obligatory jihad. And you after your death to ask God for forgiveness, and do a lot of praise, and make sure my son that God sends Mujahideen on the Day of Resurrection by their intentions, and intention, God willing, the victory of Islam. We ask God to make you listen to those who say and follow it properly. God bless Mohammed.”

( नोट – अरबी से अंगरेजी का यह अनुवाद गूगल से किया गया है , जिसकी गलतियों के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं .लोग चाहें तो हिंदी अनुवाद कर सकते हैं .लेकिन आशय वही है जो प्रारंभ में ही दे दिया गया है .)

http://web.archive.org/web/20091002024147/http://www.montdiatna.com:8686/forum/showthread.php?t=105911

7-मुल्लों की बेशर्मी
अभी तक लोग यही समझ रहे होंगे कि मुल्ले मौलवी लोगों को सदाचार की तालीम देते होंगे , लेकिन इस विडियो को देख कर लोगों आखें खुल जाएँगी , क्योंकि मुफ़्ती इस्लाम की खातिर इतनी नीचता पर उतर जाते हैं कि खुले आम “लौंडेबाजी ” करवाने का फतवा दे रहे हैं जो इस विडियो में देखा जा सकता है , देखिये विडिओ “Sodomy ‘For the sake of Islam(Video)

http://www.youtube.com/watch?v=uI9C2CCT-QM

فتوى وهابية : يجوز توسيع الدبر من اجل الجهااد

कुरान में संभोग

कुरान में संभोग
यह बात तो सर्वविदित है कि मुहम्मद एक अय्याश व्यक्ति था .लेकिन वह सेक्स गुरु भी था .वह मुसलमानों को सेक्स के नये नए तरीके सिखाता रहता था .ताकि मुसलमान उसका अनुकरण करके वैसा ही करें .क्योंकि जिहादियों को क्रूर होने के साथ साथ अय्याश होना भी जरुरी है .अगर इस दुनिया में अय्याशी नहीं करेंगे तो ,मर कर जन्नत में अय्याशी कैसे करेंगे.यही इस्लाम का आधार और मुसलमानों का एकमात्र लक्ष्य है .

यद्यपि मुहम्मद ने सेक्स के बारे में कोई अलग से किताब नहीं लिखी है ,परन्तु उसने जो भी आय्याशियाँ कि हैं ,वे सब हदीसों में मौजूद हैं .उन से छांट कर यह इस्लामी कामसूत्र الكِتاب الجِنس الاسلاميه प्रस्तुत किया जा रहा है .इसमे प्रारम्भ से अंत तक इस्लामी सेक्स की जानकारी है .यह ज्ञान मुस्लिम महिलाओं के लिए अवश्य उपयोगी होगा . ” فقط للنساء المسلمات “केवल मुस्लिम महिलाओं के लिए !

1 -सेक्स की तय्यारी कैसे करें

“औरतें अपने जिहादी पतियों के घर में आने से पहिले अपने निचे के बाल(Pubic Hair )साफ़ करके रखें “.बुखारी-जिल्द 7 किताब 62 हदीस 173

“मुस्लिम औरतें अपनी योनी और बगल के बाल साफ करके तय्यार रहें “बुखारी -जिल्द 7 किताब 72 हदीस 177.

2 -सेक्स के लिए सदा तय्यार रहें —

“यदि कोई औरत घर के काम में व्यस्त हो ,और उसका जिहादी पति उसे सेक्स के लिए बुलाये तो ,औरत को चाहिए कि सब काम छोड़कर तुरंत ही वहीँ पर सम्भोग करवा ले “मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3240

“सम्भोग करना जरुरी है ,चाहे तुम्हारी पत्नी राजी हो या नहीं .”मुस्लिम -किताब 3 हदीस 677 और 680

3 -छातियाँ मसलवाना (Breastpresing) —

“अबू मूसा बिन अशरी ने कहा कि मैं अपनी पत्नी की छातियाँ दबाकर उसका दूध पीता हूँ .मुझे लगा कि यह हराम है.फिर अब्दुल्लाह बिन मसूद ने रसूल से पूछा तो रसूल ने कहा कि यह काम जायज है “मुवत्ता-किताब 30 हदीस 214

“याहया बिन मालिक ने कहा कि मैं अपनी पत्नी के स्तनों से दूध पीता हूँ ,क्या यह हराम है .तब अबू मूसने कहा कि इसे रसूल ने जायज कहा है .और मैं दो सालों से यही कर रहा हूँ “मलिक मुवत्ता -किताब 30 हदीस 215

4 -कुंवारी लड़कियाँ सेक्स के लिए उत्तम हैं —

“अल्लाह की नजर में कुंवारी और अक्षत योनी लड़कियाँ उत्तम होती है “बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 16

“कुँवारी लड़कियाँ सेक्स के लिए श्रेष्ठ होती हैं “बुखारी -जिल्द 38 हदीस 504 .

“रसूल ने कहा कि ,कुंवारी कन्या के साथ सम्भोग करने में अधिक आनंद आता है “मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3459 .

5 -औरत की माहवारी में सम्भोग की विधि —

“आयशा नेकहा कि ,रसूल उस समय भी सम्भोग करते थे जब मैं माहवारी में होती थी “बुखारी -जिल्द 3 किताब 33हदीस 247

“रसूल ने कहा कि ,तुम औरतों से मास्क के समय भी सम्भोग कर सकते हो “अबू दाऊद-किताब 1 हदीस 270

“मासिक के समय किसी भी औरत के साथ सम्भोग करना हलाल है “अबूदाऊद -किताब 1 हदीस 212

“अगर कोई गलती से पत्नी के आलावा किसी ऐसी स्त्री से सम्भोग करे ,जो मासिक से हो ,तो उसे प्रायश्चित के लिए आधा दीनार खैरात कर देना चाहिए”

“अबू दाऊद -किताब 11 हदीस 2164

“और अगर अपनी पत्नी से उसकी मासिक के समय सम्भोग करे तो ,सदके के तौर पर एक दीनार दे देना चाहिए ”

.अबू दाऊद -किताब 1 हदीस 264 और 302

“यदि स्त्री की योनी से मासिक स्राव अधिक बह रहा हो तो ,पहिले योनी से स्राव को साफ कर लें ,फिर तेल लगा कर सम्भोग करें .यही तरिका रसूल ने बताया है.

“सही मुस्लिम -किताब 3 हदीस 647 .

“आयशा ने कहा कि,जब भी मैं मासिक में होती थी रसूल मेरी योनी से स्राव साफ करके सम्भोग किया करते थे ”

मुस्लिम -किताब 3 हदीस 658

6 -सम्भोग के बाद गुस्ल जरूरी नहीं —

“आयशा ने कहा कि रसूल सम्भोग के बाद बिना गुस्ल किये ही मेरे साथ उसी हालत में सो जाते थे” .अबू दाऊद-किताब1 हदीस 42

“आयशा ने बताया कि ,जब रसूल और मैं सम्भोग के बाद गंदे हो जाते थे ,तो रासुल्बिना पानी छुए ही मेरे पास सो जाते थे ..और उठकर नमाज के लिए चले जाते थे “.अबू दाऊद -किताब 1 हदीस 42

“आयशा ने कहा कि ,जब सम्भोग के बाद एअसुल गंदे हो जाते थे ,तो उसी हालत में सो जाते थे ,फिर बाद में उठ जानेपर बाजार या नमाज के लिए चले जाते थे .उनके पापड़ों पर वीर्य के दाग साफ दिखाई देते थे ,”अबू दाऊद -किताब 1हदीस 228

“आयशा ने कहा कि ,जब सम्भोग के बाद रसूल के कपड़ों पर वीर्य सुख जाता था .और दाग पड़ जाता था तो मैं अपनेनाखूनों से वीर्य के दागों को खुरच देती थी .रसूल वही कपडे पहिन कर नमाज के लिए चले जाते थे “अबू दाऊद -किताब11 हदीस 2161

7 -वीर्य का स्वाद और रंग —

“अनस बिन मलिक कहा कि रसूल ने उम्म सलेम को बताया कि पुषों के वीर्य का रंग सफ़ेद होता है और गाढ़ा होता है.और बेस्वाद होता है .लेकिन स्त्री का वीर्य पतला ,
पीला और तल्ख़ होता है “अबू दाऊद -किताब 3 हदीस 608

“उम्म सलेम ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि स्त्रियों कि योनी से हमेशा एक स्राव निकलता रहता है .जिसका रंग पीला होताहै .रसूल ने फिर कहा कि मुझे यह बात कहने कोई शर्म नहीं है कि , योनी के स्राव का स्वाद तल्ख़ और तीखा होता है “अबूदाऊद -किताब 3 हदीस 610 .

8 -माँ बेटी से एक साथ सम्भोग —

“याह्या बिन मलिक की रवायत है कि उबैदुल्ला इब्न उतवा इब्न मसूद ने कहा कि उमर बिन खत्ताब ने जिहाद में एक माँऔर बेटी को पकड़ लिया .और रसूल से पूछा क्या हम इन से एक एक करके सम्भोग करें या अलग अलग ,रसूल ने कहाकी तुम दौनों से एक ही समय सम्भोग कर सकते हो .इसकी अनुमति है .लेकिन मैं इसे नापसंद करता हूँ “मलिकमुवत्ता-किताब 28 हदीस 1433

9 -वेश्या गमन —

“रसूल ने कहा कि जिहाद के समय मुसलमान एक रात केलिए भी शादी कर सकते हैं “मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3253

10 -कुतिया आसन (Doggy style) —

“जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने रसूल से कहा कि एक यहूदी अपनी पत्नी की योनी में पीछे से लिंग प्रवेश करता है .क्या बुरीबात है .रसूल ने कहा की इसमे कोई हर्ज नहीं है .”मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3364

“अबू जुहरी ने कहा की रसूल ने कहा कि,तुम चाहे औरतों से आगे से सम्भोग करो चाहे पीछे से ,परन्तु लिंग योनी केअन्दर ही प्रवेश होना चाहिए .नहीं तो संतान भेंगी होती है “मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3365

11 -जंघा मैथुन (Thighing) —

“आयशा ने कहा कि ,जिस समय मैं माहवारी में होती थी तबी रसूल आ गए और मुझ से अपनी जांघें खोलने को कहा,फिर नबी ने अपने गाल मेरी जांघों पर रखे .मैंने उनके सर को जांघों में कास लिया .इस से रसूल को गर्मी मिली और वहउसी हालत में सोते रहे .शायद रसूल को सर्दी लग गयी थी “अबू दाऊद-किताब 1 हदीस 270.

12 -औरतें केवल भोग की वस्तु हैं —

“औरतें केवल भोगने और मौजमस्ती और आमोद प्रमोद के लिए ही बनी हैं “अबू दाऊद -किताब 11 हदीस 2078

“यदि औरत की सम्भोग की इच्छा भी नहीं हो तब भी पति उस से जबरदस्ती सभोग करने का हकदार है .रसूल ने कहाकि अल्लाह ने औरतों पर मर्दों को फजीलत दे रखी है “अबू दाऊद – किताब 11 हदीस 2044 .

“यदि स्त्री सम्भोग से इंकार करे तो पति उसे पीट कर जबरन सम्भोग कर सकता है “मिश्कात -किताब 6 हदीस 671

“अगर पत्नी गर्भवती भी हो ,तो पति उस से उस हालत में सम्भोग कर सकता है ,चाहे उसकी पत्नी सम्भोग करवाने केलिए कितना भी विरोध करे .पति उस से सम्भोग जरुर करे “अबू दाऊद -किताब 11 हदीस 2153 और 2166 .

13 -मुख मैथुन (Oral Sex)

“आयशा ने कहा कि,रसूल जब रोजे कि हालत में होते थे ,तब भी वह अपना मुंह मेरे मुंह से लगा कर मेरी जीभ को अपनेमुंह में लेकर चूसते थे .और मेरा सारा थूक उनके मुंह में चला जाता था “अबू दाऊद-किताब 13 हदीस 2380

“आयशा ने कहा कि रसूल कहते थे कि ,हरेक हालत में आनंद लेना चाहिए .चाहे रोजे के दिन हों “अबू दाऊद किताब 12हदीस 302 .

“आयशा ने कहा कि रसूल कहते थे.

वीरांगना की गाथा

वीरांगना की गाथा
उदयपुर के महलों में राणा जी ने आपात सभा बुला रखी थी| सभा में बैठे हर सरदार के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ़ नजर आ रही थी, आँखों में गहरे भाव नजर आ रहे थे सबके हाव भाव देखकर ही लग रहा था कि किसी तगड़े दुश्मन के साथ युद्ध की रणनीति पर गंभीर विचार विमर्श हो रहा है| सभा में प्रधान की और देखते हुए राणा जी ने गंभीर होते हुए कहा-
“इन मुघलों ने तो आये दिन हमला कर सिर दर्द कर रखा है|”

“सिर दर्द क्या रखा है ? अन्नदाता! इन मुघल ने तो पूरा मेवाड़ राज्य ही तबाह कर रखा है, गांवों को लूटना और उसके बाद आग लगा देने के अलावा तो ये मुघल कुछ जानते ही नहीं !” पास ही बैठे एक सरदार ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा|

“इन मुघलों का उत्पात तो मानवता की सारी हदें ही पार कर रहा है| मुसलमान ढंग से लड़ते थे तो उनसे युद्ध करने में भी मजा आता था पर ये तो लूटपाट और आगजनी कर भाग खड़े होते है|” एक और सरदार ने पहले सरदार की बात को आगे बढाया|

सभा में इसी तरह की बातें सुन राणा जी और गंभीर हो गए, उनकी गंभीरता उनके चेहरे पर स्पष्ट नजर आ रही थी|

मुघलों की सेना मेवाड़ पर हमला कर लूटपाट व आगजनी करते हुए आगे बढ़ रही थी मेवाड़ की जनता उनके उत्पात से बहुत आतंकित थी| उन्हीं से मुकाबला करने के लिए आज देर रात तक राणा जी मुकाबला करने के लिए रणनीति बना रहे थे और मुघलों के खिलाफ युद्ध की तैयारी में जुटे थे| अपने ख़ास ख़ास सरदारों को बुलाकर उन्हें जिम्मेदारियां समझा रहे थे| तभी प्रधान जी ने पूरी परिस्थिति पर गौर करते हुए कहा-
“खजाना रुपयों से खाली है| मुघलों के आतंक से प्रजा आतंकित है| मुघलों की लूटपाट व आगजनी के चलते गांव के गांव खाली हो गए और प्रजा पलायन करने में लगी है| राजपूत भी अब पहले जैसे रहे नहीं जो इन उत्पातियों को पलक झपकते मार भगा दे और ऐसे दुष्टों के हमले झेल सके|”

प्रधान के मुंह से ऐसी बात सुन पास ही बैठे एक राजपूत सरदार ने आवेश में आकर बोला –“पहले जैसे राजपूत अब क्यों नहीं है ? कभी किसी संकट में पीछे हटे है तो बताएं ? आजतक हम तो गाजर मुली की तरह सिर काटते आये है और आप कह रहें है कि पहले जैसे राजपूत नहीं रहे ! पिछले दो सौ वर्षों से लगातार मेवाड़ पर हमले हो रहे है | रात दिन सतत चलने वाले युद्धों में भाग लेते लेते राजपूतों के घरों की हालत क्या हो गयी है ? कभी देखा है आपने ! कभी राजपूतों के गांवों में जाकर देखो एक एक घर में दस दस शहीदों की विधवाएं बैठी मिलेंगी| फिर भी राजपूत तो अब भी सिर कटवाने के लिए तैयार है| बस एक हुक्म चाहिए राणा जी का! मुघल तो क्या खुद यमराज भी आ जायेंगे तब भी मेवाड़ के राजपूत पीठ नहीं दिखायेंगे|”

ये सुन राणा बोले- “राज पाने व बचाने के लिए गाजर मुली की तरह सिर कटवाने ही पड़ते है, इसीलिए तो कहा जाता है कि राज्य का स्वामी बनना आसान नहीं| स्वराज्य बलिदान मांगता है और हम राजपूतों ने अपने बलिदान के बूते ही यह राज हासिल किया है| धरती उसी की होती है जो इसे खून से सींचने के लिए तैयार रहे| हमारे पूर्वजों ने मेवाड़ भूमि को अपने खून से सींचा है| इसकी स्वतंत्रता के लिए जंगल जंगल ठोकरे खायी है| मातृभूमि की रक्षा के लिए घास की रोटियां खाई है, और अब ये लुटरे इसकी अस्मत लुटने आ गए तो क्या हम आसानी से इसे लुट जाने दे ? अपने पूर्वजों के बलिदान को यूँ ही जाया करें? इसलिए बैठकर बहस करना छोड़े और मुघलों को माकूल जबाब देने की तैयारी करें|”

राणा की बात सुनकर सभा में चारों और चुप्पी छा गयी| सबकी नजरों के आगे सामने आई युद्ध की विपत्ति का दृश्य घूम रहा था| मुघलों से मुकाबले के लिए इतनी तोपें कहाँ से आएगी? खजाना खाली है फिर सेना के लिए खर्च का बंदोबस्त कैसे होगा? सेना कैसे संगठित की जाय? सेना का सेनापति कौन होगा? साथ ही इन्हीं बिन्दुओं पर चर्चा भी होने लगी|

आखिर चर्चा पूरी होने के बाद राणा जी ने अपने सभी सरदारों व जागीरदारों के नाम एक पत्र लिख कर उसकी प्रतियाँ अलग-अलग घुड़सवारों को देकर तुरंत दौड़ाने का आदेश दिया|

पत्र में लिखा था-“मेवाड़ राज्य पर उत्पाती मुघलों ने आक्रमण किया है उनका मुकाबला करने व उन्हें मार भगाने के लिए सभी सरदार व जागीरदार यह पत्र पहुँचते ही अपने सभी सैनिकों व अस्त्र-शस्त्रों के साथ मेवाड़ की फ़ौज में शामिल होने के लिए बिना कोई देरी किये जल्द से जल्द हाजिर हों|”

पत्र में राणा जी के दस्तखत के पास ही राणा द्वारा लिखा था- “जो जागीरदार इस संकट की घडी में हाजिर नहीं होगा उसकी जागीर जब्त कर ली जाएगी| इस मामले में किसी भी तरह की कोई रियायत नहीं दी जाएगी और इस हुक्म की तामिल ना करना देशद्रोह व हरामखोरी माना जायेगा|”
राणा का एक सवार राणा का पत्र लेकर मेवाड़ की एक जागीर कोसीथल पहुंचा और जागीर के प्रधान के हाथ में पत्र दिया| प्रधान ने पत्र पढ़ा तो उसके चेहरे की हवाइयां उड़ गयी| कोसीथल चुंडावत राजपूतों के वंश की एक छोटीसी जागीर थी और उस वक्त सबसे बुरी बात यह थी कि उस वक्त उस जागीर का वारिस एक छोटा बच्चा था| कोई दो वर्ष पहले ही उस जागीर के जागीरदार ठाकुर एक युद्ध में शहीद हो गए थे और उनका छोटा सा इकलौता बेटा उस वक्त जागीर की गद्दी पर था| इसलिए जागीर के प्रधान की हवाइयां उड़ रही थी| राणा जी का बुलावा आया है और गद्दी पर एक बालक है वो कैसे युद्ध में जायेगा? प्रधान के आगे एक बहुत बड़ा संकट आ गया| सोचने लगा-“क्या इन मुघलों को भी अभी हमला करना था| कहीं ईश्वर उनकी परीक्षा तो नहीं ले रहा?”

प्रधान राणा का सन्देश लेकर जनाना महल के द्वार पर पहुंचा और दासी की मार्फ़त माजी साहब (जागीरदार बच्चे की विधवा माँ) को आपात मुलाकात करने की अर्ज की|

दासी के मुंह से प्रधान द्वारा आपात मुलाकात की बात सुनते ही माजी साहब के दिल की धडकनें बढ़ गयी-“पता नहीं अचानक कोई मुसीबत तो नहीं आ गयी?”

खैर.. माजी साहब ने तुरंत प्रधान को बुलाया और परदे के पीछे खड़े होकर प्रधान का अभिवादन स्वीकार करते हुए पत्र प्राप्त किया| पत्र पढ़ते ही माजी साहब के मुंह से सिर्फ एक छोटा सा वाक्य ही निकला-“हे ईश्वर ! अब क्या होगा?” और वे प्रधान से बोली-“अब क्या करें ? आप ही कोई सलाह दे! जागीर के ठाकुर साहब तो आज सिर्फ दो ही वर्ष के बच्चे है उन्हें राणा जी की चाकरी में युद्ध के लिए कैसे ले जाया जाय ?

तभी माजी के बेटे ने आकर माजी साहब की अंगुली पकड़ी| माजी ने बेटे का मासूम चेहरा देखा तो उनके हृदय ममता से भर गया| मासूम बेटे की नजर से नजर मिलते ही माजी के हृदय में उसके लिए उसकी जागीर के लिए दुःख उमड़ पड़ा| राणा जी द्वारा पत्र में लिखे आखिरी वाक्य माजी साहब के नजरों के आगे घुमने लगे-“हुक्म की तामिल नहीं की गयी तो जागीर जब्त कर ली जाएगी| देशद्रोह व हरामखोरी समझा जायेगा आदि आदि|”

पत्र के आखिरी वाक्यों ने माजी सा के मन में ढेरों विचारों का सैलाब उठा दिया-“जागीर जब्त हो जाएगी ! देशद्रोह व हरामखोरी समझा जायेगा! मेरा बेटा अपने पूर्वजों के राज्य से बाहर बेदखल हो जायेगा और ऐसा हुआ तो उनकी समाज में कौन इज्जत करेगा? पर उसका आज बाप जिन्दा नहीं है तो क्या हुआ ? मैं माँ तो जिन्दा हूँ! यदि मेरे जीते जी मेरे बेटे का अधिकार छिना जाए तो मेरा जीना बेकार है ऐसे जीवन पर धिक्कार| और फिर मैं ऐसी तो नहीं जो अपने पूर्वजों के वंश पर कायरता का दाग लगने दूँ, उस वंश पर जिसनें कई पीढ़ियों से बलिदान देकर इस भूमि को पाया है मैं उनकी इस बलिदानी भूमि को ऐसे आसानी से कैसे जाने दूँ ?

ऐसे विचार करते हुए माजी सा की आँखों वे दृश्य घुमने लगे जो युद्ध में नहीं जाने के बाद हो सकते थे- “कि उनका जवान बेटा एक और खड़ा है और उसके सगे-संबंधी और गांव वाले बातें कर रहें है कि इन्हें देखिये ये युद्ध में नहीं गए थे तो राणा जी ने इनकी जागीर जब्त कर ली थी| वैसे इन चुंडावतों को अपनी बहादुरी और वीरता पर बड़ा नाज है हरावल में भी यही रहते है|” और ऐसे व्यंग्य शब्द सुन उनका बेटा नजरें झुकाये दांत पीस कर जाता है| ऐसे ही दृश्यों के बारे में सोचते सोचते माजी सा का सिर चकराने लगा वे सोचने लगे यदि ऐसा हुआ तो बेटा बड़ा होकर मुझ माँ को भी धिक्कारेगा|

ऐसे विचारों के बीच ही माजी सा को अपने पिता के मुंह से सुनी उन राजपूत वीरांगनाओं की कहानियां याद आ गयी जिन्होंने युद्ध में तलवार हाथ में ले घोड़े पर सवार हो दुश्मन सेना को गाजर मुली की तरह काटते हुए खलबली मचा अपनी वीरता का परिचय दिया था| दुसरे उदाहरण क्यों उनके ही खानदान में पत्ताजी चुंडावत की ठकुरानी उन्हें याद आ गयी जिसनें अकबर की सेना से युद्ध किया और अकबर की सेना पर गोलियों की बौछार कर दी थी| जब इसी खानदान की वह ठकुरानी युद्ध में जा सकती थी तो मैं क्यों नहीं ? क्या मैं वीर नहीं ? क्या मैंने भी एक राजपूतानी का दूध नहीं पिया ? बेटा नाबालिग है तो क्या हुआ ? मैं तो हूँ ! मैं खुद अपनी सैन्य टुकड़ी का युद्ध में नेतृत्व करुँगी और जब तक शरीर में जान है दुश्मन से टक्कर लुंगी| और ऐसे वीरता से भरे विचार आते ही माजी सा का मन स्थिर हो गया उनकी आँखों में चमक आ गयी, चेहरे पर तेज झलकने लगा और उन्होंने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ प्रधान जी को हुक्म दिया कि-
“राणा जी हुक्म सिर माथे ! आप युद्ध की तैयारी के लिए अपनी सैन्य टुकड़ी को तैयार कीजिये हम अपने स्वामी के लिए युद्ध करेंगे और उसमें जान की बाजी लगा देंगे|”

प्रधान जी ने ये सुन कहा- “माजी सा ! वो तो सब ठीक है पर बिना स्वामी के केसी फ़ौज ?

माजी सा बोली- “हम है ना ! अपनी फ़ौज का हम खुद नेतृत्व करेंगे|”

प्रधान ने विस्मय पूर्वक माजी सा की और देखा| यह देख माजी सा बोली-
“क्या आजतक महिलाएं कभी युद्ध में नहीं गयी ? क्या आपने उन महिलाओं की कभी कोई कहानी नहीं सुनी जिन्होंने युद्धों में वीरता दिखाई थी ? क्या इसी खानदान में पत्ताजी की ठकुरानी सा ने अकबर के खिलाफ युद्ध में भाग ले वीरगति नहीं प्राप्त की थी ? मैं भी उसी खानदान की बहु हूँ तो मैं उनका अनुसरण करते हुए युद्ध में क्यों नहीं भाग ले सकती ?

बस फिर क्या था| प्रधान जी ने कोसीथल की सेना को तैयार कर सेना के कूच का नंगारा बजा दिया| माजी सा शरीर पर जिरह बख्तर पहने, सिर पर टोप, हाथ में तलवार और गोद में अपने बालक को बिठा घोड़े पर सवार हो युद्ध में कूच के लिए पड़े|

कोसीथल की फ़ौज के आगे आगे माजी सा जिरह वस्त्र पहने हाथ में भाला लिए कमर पर तलवार लटकाये उदयपुर पहुँच हाजिरी लगवाई कि-“कोसीथल की फ़ौज हाजिर है|

अगले दिन मेवाड़ की फ़ौज ने मुघल फ़ौज पर हमला किया| हरावल (अग्रिम पंक्ति) में चुंडावतों की फ़ौज थी जिसमें माजी सा की सैन्य टुकड़ी भी थी| चुंडावतों के पाटवी सलूम्बर के राव जी थे उन्होंने फ़ौज को हमला करने का आदेश के पहले संबोधित किया- “वीर मर्द राजपूतो! मर जाना पर पीठ मत दिखाना| हमारी वीरता के बल पर ही हमारे चुंडावत वंश को हरावल में रहने का अधिकार मिला है जिसे हमारे पूर्वजों ने सिर कटवाकर कायम रखा है| हरावल में रहने की जिम्मेदारी हर किसी को नहीं मिल सकती इसलिए आपको पूरी जिम्मेदारी निभानी है मातृभूमि के लिए मरने वाले अमर हो जाते है अत: मरने से किसी को डरने की कोई जरुरत नहीं! अब खेंचो अपने घोड़ों की लगाम और चढ़ा दो मुघल सेना पर|”

माजी सा ने भी अन्य वीरों की तरह एक हाथ से तलवार उठाई और दुसरे हाथ से घोड़े की लगाम खेंच घोड़े को ऐड़ लगादी| युद्ध शुरू हुआ, तलवारें टकराने लगी, खच्च खच्च कर सैनिक कट कट कर गिरने लगे, तोपों, बंदूकों की आवाजें गूंजने लगी| हर हर महादेव केनारों से युद्ध भूमि गूंज उठी| माजी सा भी बड़ी फुर्ती से पूरी तन्मयता के साथ तलवार चला दुश्मन के सैनिकों को काटते हुए उनकी संख्या कम कर रही थी कि तभी किसी दुश्मन ने पीछे से उन पर भाले का एक वार किया जो उनकी पसलियाँ चीरता हुआ निकल गया और तभी माजी सा के हाथ से घोड़े की लगाम छुट गयी और वे नीचे धम्म से नीचे गिर गए| साँझ हुई तो युद्ध बंद हुआ और साथी सैनिकों ने उन्हें अन्य घायल सैनिकों के साथ उठाकर वैध जी के शिविर में इलाज के लिए पहुँचाया| वैध जी घायल माजी सा की मरहम पट्टी करने ही लगे थे कि उनके सिर पर पहने लोहे के टोपे से निकल रहे लंबे केश दिखाई दिए| वैध जी देखते ही समझ गए कि यह तो कोई औरत है| बात राणा जी तक पहुंची-
“घायलों में एक औरत ! पर कौन ? कोई नहीं जानता| पूछने पर अपना नाम व परिचय भी नहीं बता रही|”

सुनकर राणा जी खुद चिकित्सा शिविर में पहुंचे उन्होंने देखा एक औरत जिरह वस्त्र पहने खून से लथपथ पड़ी| पुछा –
“कृपया बिना कुछ छिपाये सच सच बतायें ! आप यदि दुश्मन खेमें से भी होगी तब भी मैं आपका अपनी बहन के समान आदर करूँगा| अत: बिना किसी डर और संकोच के सच सच बतायें|”

घायल माजी सा ने जबाब- “कोसीथल ठाकुर साहब की माँ हूँ अन्नदाता !”

सुनकर राणा जी आश्चर्यचकित हो गए| पुछा- “आप युद्ध में क्यों आ गई?”

“अन्नदाता का हुक्म था कि सभी जागीरदारों को युद्ध में शामिल होना है और जो नहीं होगा उसकी जागीर जब्त करली जाएगी| कोसीथल जागीर का ठाकुर मेरा बेटा अभी मात्र दो वर्ष का है अत: वह अपनी फ़ौज का नेतृत्व करने में सक्षम नहीं सो अपनी फ़ौज का नेतृत्व करने के लिए मैं युद्ध में शामिल हुई| यदि अपनी फ़ौज के साथ मैं हाजिर नहीं होती तो मेरे बेटे पर देशद्रोह व हरामखोरी का आरोप लगता और उसकी जागीर भी जब्त होती|”

माजी सा के वचन सुनकर राणा जी के मन में उठे करुणा व अपने ऐसे सामंतों पर गर्व के लिए आँखों में आंसू छलक आये| ख़ुशी से गद-गद हो राणा बोले-

“धन्य है आप जैसी मातृशक्ति ! मेवाड़ की आज वर्षों से जो आन बान बची हुई है वह आप जैसी देवियों के प्रताप से ही बची हुई है| आप जैसी देवियों ने ही मेवाड़ का सिर ऊँचा रखा हुआ है| जब तक आप जैसी देवी माताएं इस मेवाड़ भूमि पर रहेगी तब तक कोई माई का लाल मेवाड़ का सिर नहीं झुका सकता| मैं आपकी वीरता, साहस और देशभक्ति को नमन करते हुए इसे इज्जत देने के लिए अपनी और से कुछ पारितोषिक देना चाहता हूँ यदि आपकी इजाजत हो तो, सो अपनी इच्छा बतायें कि आपको ऐसा क्या दिया जाय ? जो आपकी इस वीरता के लायक हो|”

माजी सा सोच में पड़ गयी आखिर मांगे तो भी क्या मांगे|

आखिर वे बोली- “अन्नदाता ! यदि कुछ देना ही है तो कुछ ऐसा दें जिससे मेरे बेटे कहीं बैठे तो सिर ऊँचा कर बैठे|”

राणा जी बोले- “आपको हुंकार की कलंगी बख्सी जाती

हर हर महादेव