रविवार, 2 जुलाई 2017

रसूल के मुस्लिम गधे की कथा

रसूल के मुस्लिम गधे की कथा
यह  एक  ऐसे गधे  की  कथा   है जो   मुहम्मद  साहब    के संपर्क  में  आते  ही  मुस्लिम    बन   गया  था  , और मनुष्यों  की  तरह अरबी  में बातें  करने  लगा  था , भले  ही लोग  इस  बात  पर  विश्वास  नहीं    करें   लेकिन मुसलमान  इस  बात  पर  ईमान  रखते  है  , और इस  कथा को एक  ऐतिहासिक  घटना  बताते   है , क्योंकि इस गधे  का  सम्बन्ध "खैबर "   की लड़ाई   से   है  ,

1.खैबर  की   लड़ाई
मुहम्मद साहब इस्लाम  का  विस्तार  करने  के  लिये और विधर्मियों  का  माल  लूटने  के  लिए  युद्ध किया करते  थे  , अपने  पूरे  जीवन   में  उन्होंने  सौ (100 ) लड़ाइयां  या  युद्ध   किये थे  , मुहम्मद  और उनके  साथी  छोटी छोटी  चीजें   भी लूटने के  लिए युद्ध  किया  करते  थे , मुहम्मद  साहब  की  53  वीं लड़ाई सन 628 के  माह मई  और जून  के   बीच  हुई  थी  , इस लड़ाई  को "गज्वये खैबर  غزوة خيبر  " कहा   जाता  है ,इस  लड़ाई   में मुसलमानों   ने  मदीना    से 150 कि मी  उत्तर  पश्चिम स्थित खैबर  नामकी  जगह   यहूदियों   की  बस्ती  पर   अचानक  हमला  कर  दिया  था ,इस हमले   में निहत्थे  93  यहूदी   और  सिर्फ  16  मुसलमान  मारे  गए  थे .इस  लूट   में   मुहम्मद  साहब  को "सोने , चांदी के  सिक्कों   से  भरे दस पात्र  ,चार भेड़ें  ,चार  बकरियां  , और  एक काला  जंगली  गधा ( black, haggard donkey)  मिला  था।

2.गधे की  हदीस

मुसलमान  एक  गधे  की   बात  को  भी  हदीस  मान  लेते   हैं ,   क्योंकि प्रसिद्ध इस्लामी  इतिहासकार "इस्माइल बिन उमर इब्न  कसीर -إسماعيل بن عمر بن كثير" (  1301–1375  ) ने अपनी  किताब "अल  बिदायः वल  निहायाः - البداية والنهاية      "(  The Beginning and the End ) के छठवें बाब (chapter "में इस घटना   का   वर्णन   किया  है  , इसका  शीर्षक   है "हदीसुल  हिमार  حديث الحمار
" रखा  है  . इसका  अर्थ   है गधे  की  हदीस ( The Conversation of the Donkey) यह  पूरी हदीस  अरबी  भाषा   में   है , जिसका  हिंदी सरलार्थ    दिया    जा  रहा   है ,

3-गधा - मुहम्मद  वार्तालाप
रसूल  ने  गधे  से  पूछा ,"तेरा  नाम  क्या  है ?("ما اسمك؟" )-अरबी  में "मा इस्मुका "

गधे  ने  कहा -यजीद   इब्न  शिहाब ,( يزيد بن شهاب )

तब गधा   रसूल से बोला बोला अल्लाह    मुझे साठ गधों   का  पुरखा  बनाया  लेकिन  मेरे  किसी  दादा  परदादा पर  कोई  नबी   नहीं  बैठा ,सभी  गुजर  गए , सिवा  आपके ,मुझे  उम्मीद  है  की  आप  मेरे  ऊपर   जरूर  सवारी  करेंगे ,गधे   ने  बताया  कि  मैं  पहले  एक यहूदी   के   पास  था , जो  मेरी बेकदरी  करता  था ,और  मेरे  पेट और पीठ  पर लातें  मारता  था
,तब रसूल ने  गधे  से कहा ,

" मैं  तुम्हें याफूर  पुकारूँगा "(قد سميتك يعفورا )-अरबी  में " कद समैय तुका  याफूर "

गधा  बोला " मैं  मानूँगा "( لبيك)-अरबी  में "लब्बैका "
तब  रसूल  ने  गधे  से  पूछा " क्या  तुम्हें औरतें चाहिए ?(أتشتهي الإناث؟ ).-अरबी  में "अ तशतही अल अनास "

गधे  ने  उत्तर  दिया  " अभी  नहीं " ( لا فكان  )-अरबी  में "ला  फकान "
इसके बाद  गधा   मुसलमान   हो  गया और  रसूल उस पर  सवारी  करने  लगे ,और  जब   काम  पूरा  हो जाता था  तो  रसूल गधे को घर  रख  लेते थे , और जब कोई  रसूल  से मिलने  आता था  तो  गधा दरवाजे  पर सिर  ठोक  कर रसूल   को  सूचना   दे देता था ,और  जब रसूल  बहार जाने  लगते थे तो गधा  लोगों  को  संकेत   दे  देता  था ,

गधा  रसूल   का  इतना  भक्त  बन   गया  था कि जब  रसूल गुजर  गए  तो उनके  गम  में दुखी  होकर  गधे ने "अबी अल  हैसम बिन अल  तहयान لأبي الهيثم بن التيهان -   " के  कुंएं  में कूद  कर  अपनी  जान  दे  दी.

لما فتح الله على نبيه صلى الله عليه وسلم خيبر أصابه من سهمه أربعة أزواج نعال وأربعة أزواج خفاف وعشر أواق ذهب وفضة وحمار أسود، ومكتل قال: فكلم النبي صلى الله عليه وسلم الحمار، فكلمه الحمار، فقال له: "ما اسمك؟" قال: يزيد بن شهاب، أخرج الله من نسل جدي ستين حمارا، كلهم لم يركبهم إلا نبي لم يبق من نسل جدي غيري ولا من الأنبياء غيرك، وقد كنت أتوقعك أن تركبني قد كنت قبلك لرجل يهودي، وكنت أعثر به عمدا وكان يجيع بطني ويضرب ظهري، فقال له النبي صلى الله عليه وسلم: "قد سميتك يعفورا، يا يعفور" قال: لبيك. قال "أتشتهي الإناث؟" قال: لا فكان النبي صلى الله عليه وسلم يركبه لحاجته فإذا نزل عنه بعث به إلى باب الرجل، فيأتي الباب فيقرعه برأسه، فإذا خرج إليه صاحب الدار أومأ إليه أن أجب رسول الله صلى الله عليه وسلم، فلما قبض النبي صلى الله عليه وسلم جاء إلى بئر كان لأبي الهيثم بن التيهان فتردى فيها فصارت قبره، جزعا منه على رسول الله صلى الله عليه وسلم

راجع البداية و النهاية لإبن كثير .. باب حديث الحمار

इस्लामी  परिभाषा  में मुहम्मद  के  कथन और आदेशों  को  हदीस  कहा  जाता  है  , और  कुरान  के  बाद  हदीसों  को ही   प्रामाणिक माना जाता  है ,
  लेकिन  इस कहानी  में   मुहम्मद ने  सिर्फ  तीन   ही  वाक्य   कहे  हैं , फिर भी   मुसलमान इस कथा को  हदीस   कहते  हैं , उनका असली उद्देश्य  मुहम्मद   को चमत्कारी  दैवी  शक्ति  संपन्न    और अल्लाह का  सबसे  महान   नबी  और  रसूल  साबित  करना  है , मुस्लिम  इस कपोल कल्पित गप्प  को भले ही  हदीस  मानें  , परन्तु अरबी  के  जानकर  ईसाई विद्वानों  ने इस हदीस  का मजाक  उड़ाते हुए  कहा  कि "ऐसी गप्प पर  कोई  गधा ही  विश्वास   करेगा " . फिर  भी इस  हदीस  रूपी कल्पित झूठी कहानी  को पढ़  कर सामान्य  व्यक्ति  भी यही सवाल  करेगा ,
1.जब  दुनिया  का  सबसे  बड़ा  मुर्ख कहाने  वाला  प्राणी  गधा मनुष्य( मुहम्मद ) के साथ रहकर अरबी  बोलना  सीख  गया  , तो  मुहम्मद  जीवन भर में  अपनी  ही  मातृभाषा  अरबी  लिखना  और  पढ़ना  क्यों  नहीं  सीख  पाये ? बताइये  गधा कौन   है ?
2.मुहम्मद साहब  ने  जैसे गधे  को  औरतों  का  लालच   दिया ,लेकिन गधे   ने  मना  कर  दिया   ,क्योंकि वह  जानता  था कि जन्नत  की बातें  झूठी  हैं
उसी  तरह मुल्ले  मौलवी  मुसलमानों  को  जन्नत  की  हूरों  का  लालच  देकर  जिहाद  करवाया  करते  हैं  , और  मुसलमान   मान  लेते  हैं  . बताइये   गधा  कौन है ?
3-जैसे  गधा  बिना  सोचे  समझे  मुसलमान   बन  गया  था  , और  आखिर  उसे आत्महत्या  करनी  पड़ी थी  , उसी  तरह  जो लोग  इस्लाम के झूठे प्रचार  से  भ्रमित  होकर  इस्लाम   अपना  लेते  हैं  ,वह गधे  नहीं  तो  और कौन  हैं ?

क्योंकि  उन  लोगों   का अंजाम  भी  उसी   गधे  जैसा  ही होगा , और  जो लोग  इस  लेख को  ध्यान  से नहीं  पढ़ें   वह  खुद समझ लें   कि  वह  कौन   कहलाये  जायेंगे ?



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